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इस दौर में सब सूरज से शीतलता चाहते है #मन में उठती है जैसे सागर में लहरें आती है जाती है कुछ पल को है यह ठहरे रात चांदनी में खुद को पाया है सीता को बचाना है पिंजरे सजाता है

Hindi भरी रात में चाँद को जलता चाहते है | Poems